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इनपा ने मनाया अपना 549 वा स्थापना दिवस

अपने 49वें स्थापना दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय प्राकृतिक चिकित्सा (इनपा) ने अपनी वार्षिक बैठक के अतिरिक्त एक सेमिनार का आयोजन किया। बैठक की अध्यक्षता ड़ा. सुभाष चन्द जैन ने की।
अपनी आम सभा में इनपा की नई कार्य कारिणी का गठन किया गया जिसमें डॉ. सुभाष चन्द जैन को पुनः इनपा का अध्यक्ष व ड़ा. राजीव रस्तोगी को उपाध्यक्ष चुना गया। इसके साथ ही ड़ा. प्रबोध राज चंदोल का महामंत्री और ड़ा. मुकेष कुमार षर्मा का सचिव के पद पर चयन हुआ। ड़ा. अरविन्द कुमार त्यागी राष्ट्रीय संयोजक का अपना दायित्व संभालेंगे। कार्य कारिणी के अन्य सदस्यों में डॉ. प्रदीप मल्होत्रा, ड़ा. हीरा लाल
मीणा, ड़ा. ओमनाथ मिश्रा तथा ड़ा. तपन कुमार भट्टाचार्य अपनी सेवाएं देंगे।
आम सभा के पष्चात् सेमिनार का प्रारम्भ हुआ जिसमें ड़ा. मुकेष कुमार षर्मा ने इनपा को इतिहास पर प्रकाश डाला तथा इनपा के आगामी कार्य क्रमों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। अगले वर्ष इनपा के
50वें स्थापना दिवस पर स्मारिका और देषभर में प्राकर्तिक चिकित्सा के क्षेत्र से जुड़े साधकों की एक
डायरेक्टरी बनाने की योजना है यह जानकारी दी गई। आज की सेमिनार का विषय ’प्राकृतिक चिकित्साएवं स्वास्थ्य’ रखा गया। इस सेमिनार में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा से जुड़े अनेक विद्वानों को आमंत्रितकिया गया था। योग विषेषज्ञ ड़ा. सूर्यमोहन ठाकुर ने अपने व्याख्यान में पातत्र्जलि के योग पर आधारित
अपने व्याख्यान में अष्टांग योग, प्राणायाम और बन्ध पर विस्तार से अपनी बात रखी। ड़ा. राजीव रस्तोगी ने अपने व्याख्यान में प्राकृतिक चिकित्सा के सूत्र बताए। ड़ा. गुलाटी ने कोविड काल जैसे हालात में घर मेंरहते हुए किस प्रकार से अपने आप को स्वस्थ रखा जा सकता है इसका अभ्यास करने के तरीके न केवल
बोलकर बल्कि करके भी बताए। ड़ा. विभूति नारायण ने अपने व्याख्यान में मनुष्य के आचरण और उससेस्वास्थ्य पर पडने वाले प्रभाव का विवरण दिया। ड़ा. बिन्द कुमार गुप्ता ने प्राकृतिक चिकित्सा को अपनी जीवनषैली के रूप में अपनाने पर जोर दिया। ड़ा. प्रबोध चन्दोल ने प्राकृतिक चिकित्सा पर मंडराते खतरोंपर प्रकाष डाला तथा ड़ा. अरविन्द त्यागी ने सदा प्रसन्न रहने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर अपने विचार रखे। अन्य वक्ताओं में श्री राजेन्द्र रावत, ड़ा. सुभाष सक्सेना आदि ने अपने अपने विचार रखे।
सेमिनार में यह निष्कर्ष निकला कि प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और इन्हेंअलग अलग करके देखना या व्यवहार में लाना कदापि उचित नही है।
सेमिनार में लगभग 70 लोगों ने व्यक्तिगत आकर तथा अनेक लोगों ने ऑनलाइन जुड़कर वक्ताओं
के अनुभवों का लाभ लिया। सेमिनार के अन्त में सभी वक्ताओं एवं कुछ प्रमुख अतिथियों का शाल और स्मृति चिह्न से सम्मान किया गया। इनपा के अध्यक्ष ड़ा. सुभाष जैन ने अपना आर्षीवाद देते हुए कहा कि इनपा प्रकृति और प्राकृतिक चिकित्सा को बचाने के लिए सदा अपना योगदान देती रहेगी। उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सा तथा योग से जुड़ सभी साधकों से एकजुट होकर इसका प्रचार प्रसार करने का आवाहन
किया