उत्तर प्रदेशकोरोना

यूपीः चिकित्सको की लापरवाही से भेंट चढ रही जिदगियां

मेरठ- शहर मे जिला प्रशासन के सख्त कदम उठाए जाने के बाद चिकित्सा सुविधा मे सुधार आया है। इसके बाद भी कुछ अस्पतालो मे मनमानी की जा रही है। कुछ अस्पताल आयुष्मान कार्ड वाले मरीजो को चिकित्सा देने से इंकार कर रहे है। कुछ अस्पताल ब्लैक फंगस के लक्षण न होने पर भी इसका ईलाज कर रहे है। इससे मरीजो की जिदंगी खरे मे पड रही है।

वेस्टर्न कचहरी रोड लायन क्लब इंटरनेशनल के वरिष्ठ अधिकारी संजीव गुप्ता 50 दिन अस्पताल मे भर्ती रहे। ईलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनके बडे भाई एंव उत्तर प्रदेश पेंटस व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष राजीव कुमार गुप्ता का आरोप है कि रिपोर्ट नेगेटिव होने पर भी ब्लैक फंगस का ईलाज किया गया। राजीव गुप्ता ने बताया कि छोटे भाई को कोरोना संक्रमित होने के कारण 11 अप्रेल को गढ रोड़ स्थित अस्पताल मे भर्ती किया गया था। इसके बाद 22 अप्रेल को वह नाॅन कोविड हो गए। आक्सीजन की व्यवस्था उन्हें स्वंय करनी पडी। 11 मई को डिस्चार्ज किया गया। इसके बाद वह घर पर ईलाज कराते रहे। 22 मई को दिल्ली अस्पताल मे भर्ती कराया गया।

यहां ईएनटी डिपार्टमेंट ने ब्लैक फंगस के लक्षण न होने की बात कही। इसके बाद भी चिकित्सक ब्लैक फंगस की दवा देते रहे। राजीव ने बताया कि एक इंजेक्शन 25 हजार रूपये का मिला और एक दिन मे पांच इंजेक्शन लगवाए गए। इसके बावजूद आक्सीजन लेवल घटता गया।

ब्रहापुरी निवासी रवि का आयुष्मान कार्ड बना हुआ है। बीमारी के चलते उसकी दिमाग की नस फट गई। रवि ने बताया कि उसने मेरठ स्कैन सेंटर मे जांच कराई। इसके बाद वह दिल्ली रोड़ और गढ रोड़ के विभिन्न अस्तालो मे ईलाज के लिए भर्ती करने की गुहार लगाता रहा लेकिन किसी भी अस्पताल ने उसे भर्ती नही किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *