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कंपनियों को अब कब तक मिलेगा बिना गारंटी के लोन, क्या है सरकार की तैयारी

इंडियन बैंक एसोसिएशन ने सरकार से कहा है कि कोविड-19 की तीसरी लहर की वजह से MSME कंपनियां अभी तक नकदी संकट से पूरी तरह नहीं उबर पाई हैं. ऐसे में IBA ने ECLGS की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है.

इंडियन बैंक एसोसिएशन ने सरकार से कहा है कि कोविड-19 की तीसरी लहर की वजह से एमएसएमई कंपनियां (MSME) अभी तक नकदी संकट से पूरी तरह नहीं उबर पाई हैं. ऐसे में IBA ने ECLGS की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है. इंडियन बैंक एसोसिएशन यानी आईबीए ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह गारंटीड लोन स्कीम को मार्च 2023 तक बढ़ा दे. साथ ही ECLGS के तहत योग्य कर्जदारों को 10 फीसद अतिरिक्त राशि मुहैया कराई जाए.आखिर इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम यानी ECLGS क्या है. आपको याद होगा कि कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन (Lockdown) के कारण देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान हुआ था. उस समय मोदी सरकार ने इकोनॉमी को सपोर्ट देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की थी. इसे नाम दिया गया था आत्मनिर्भर भारत पैकेज.

आइए योजना के बारे में जानते हैं…

इस पैकेज की ही एक योजना है इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम. यह स्कीम मई 2020 में लाई गई थी. इसके तहत सरकार ने कोविड-19 और लॉकडाउन से प्रभावित एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपए का अनसिक्योर्ड लोन बांटने की घोषणा की थी.

बैंकों और वित्तीय संस्थानों से मिलने वाले इस लोन के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को कोई गारंटी देने की आवश्यकता नहीं है. सरकार ने बाद में इस राशि को बढ़ाकर 4.5 लाख करोड़ रुपए कर दिया था. इस लोन से कंपनियां कारोबार परिचालन लागतों को पूरा कर सकती हैं.

सरकार ने सितंबर 2021 में इस योजना की समय सीमा को बढ़ाकर मार्च 2022 किया था, जिसे अब आईबीए ने एक साल और बढ़ाने की मांग की है.

आईबीए का कहना है कि तीसरी लहर के चलते एमएसएमई अभी भी संकट से नहीं उबर पाए हैं. इसलिए सरकार को इस स्कीम को अभी जारी रखना चाहिए.

यही नहीं, आईबीए ने सरकार से इस स्कीम की शर्तों को भी आसान बनाने की मांग की है, जिससे अधिक से अधिक एमएसएमई इकाइयां इसका फायदा उठा सकें.

एक रिपोर्ट के अनुसार, 4.5 लाख करोड़ रुपए में से अभी तक इस स्कीम के तहत केवल 3.10 लाख करोड़ रुपए के टर्म लोन ही बांटे गए हैं.