कृषि

क्या होती है बॉफोर्टिफाइड फसल, इससे क्या होगा किसानों को फायदा, जानें सबकुछ

: बॉयोफोर्टिफाइस फसल को बढ़ावा देने के लिए यूपी मे पॉयलट के तौर पर कार्य हुआ है इससे खाद्य के साथ-साथ पोषण सुरक्षा भी मिलेगी.

देश में पारपंरिक रुप से तैयार की गई बॉयोफोर्टिफाइड फसलों (Biofortified Crops) के उत्पादन के बढ़ावा देने के साथ-साथ उनकी खपत और उन फसलो की मार्केटिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके माध्यम से यह लोगों के पास पहुंचेगा, इससे पोषण और आजीविका की सुरक्षा बढ़ेगी. इसी उद्देश्य को लेकर हार्वेस्टप्लस (Harvest Plus) और ग्रामीण इंडिया फाउंडेशन (Grameen India Foundation)के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए हैं. बॉयोफोर्टिफाइड फसलों को बढ़ावा देने पर खाद्य सुरक्षा के साथ पोषण सुरक्षा भी मिलेगी. यह सहयोग वित्तीय समावेशन के साथ कृषि आधारित आजीविका के साथ-साथ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि कमजोर आबादी विशेषकर महिलाओं को गरीबी, बेरोजगारी, भूख और कुपोषण से निबटने के लिए तैयार किया जा सके.

इस कार्य को बढ़ावा देने का जिम्मा ग्रामीण मित्र के तौर पर जानी जाने वाली महिलाओं को दी जाएगी, जो मुख्य रुप से महिला कृषि उद्यमी होंगी. ऐसी महिलाएं की इस नई शुरूआत का नेतृत्व करेंगी. यह महिलाएं गांवों में घर-घर जाएंगी और जो भी सेवाएं इस पहल के तहत दी जा रही है उनकी उपलब्धता प्रदान करेंगी. इसके अलावा नियमित बात-चीत के माध्यम से किसानों के साथ एक व्यक्तिगत बेहतर संबंध विकसित करेंगी, ताकि किसानों को विश्वास में लिया जा सके, एक विश्वास बन सकें.

ग्रामीण मित्र बनकर नए कौशल सीख रही महिलाएं

गौरतलब है कि ग्रामीण मित्र बनकर महिलाएं नए-नए कौशल सीख रही हैं, इससे उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है, उन्हें आर्थिक आजादी मिली है और इस तरह से अपने जीवन में बदलाव ला रही हैं. इसी जुड़ाव के तहत उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बॉयोफोर्टिफाइड जिंक गेंहू के बीज का व्यवसायीकरण किया गया. बॉयोफोर्टिफाइड सीड के व्यवसायीकरण कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश में यह कार्यक्रम किया गया. इस कार्य का नेतृत्व हार्वेस्ट प्लस और ग्लोबल एलायंस फॉर इम्प्रूव्ड न्यूट्रिशन ने किया.

छोटे किसानों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

पॉयलट प्रोजेक्ट के तहत चलाए गए बॉयोफोर्टिफाइड सीड के व्यवसायीकरण कार्यक्रम का मुख्य ध्यान छोटे किसानों का क्षमता निर्माण करना था. इसके लिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया. इसमें कम से कम 30 फीसदी महिला किसानों का होना अनिवार्य था. इसमें किसानों को बॉयोफोर्टिफाइड फसलों की खेती को लेकर किसानों को जागरूक करना और उत्पादन बढ़ाने के लिए ट्रेनिंग के जरिए उनकी कैपेसिटी बिल्डिंग करना था. साथ ही किसान और विभिन्न किसान उत्पादक संगठनों को फासल से पहले और फसल के बाद के नुकसान और उसके प्रबंधन के बारे में समुचित जानकारी देना था.

बॉयोफोर्टिफाइट बीज अपनाने के लिए किया जा रहा प्रोत्साहित

एएनआई के मुताबिक ग्रामीण फाउंडेशन इंडिया के सीइओ ने कहा हम हार्वेस्ट प्लस की साझेदारी से काफी खुश हैं क्योंकि यह देश में गरीबी और भूखमरी को रोकने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाने में सीधे मदद करता है. उन्होंने कहा कि उनकी संस्था किसान उत्पादक संगठनों और प्रगतिशील किसानों से मिलकर उन्हें बॉयोफोर्टिफाइड बीज को अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे है. जो भोजन मे सूक्ष्म पोषण तत्वों की कमी को पूरा करने में लंबे समय तक मददगार साबित होंगे.उन्होंने कहा कि इ रबी सीजन में 1600 एकड़ में उत्पादित बॉयोफोर्टिफाइड गेंहू खपत को पूरा करने में पर्याप्तो होगा और 60,000 से अधिक व्यक्तियों की पोषण की जरुरत पूरी होंगी.