कृषि

ओलावृष्टि प्रभावित किसानों के लिए 203 करोड़ रुपये का मुआवजा जारी, क्या खुश हैं किसान?

 मध्य प्रदेश में जनवरी महीने के दौरान एक हजार से अधिक गांवों में हुई थी ओलावृष्टि, 1.34 लाख हेक्टेयर में तबाह हो गई थी फसल. वर्ष 2018 के रेट पर मुआवजा मिलने से नाराज हैं काफी किसान.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया है कि उनकी सरकार ने पिछले 22 महीने में किसानों (Farmers) को पौने दो लाख करोड़ रुपये की मदद दी है. यह पैसा किसान सम्मान निधि स्कीम, शून्य प्रतिशत ब्याज पर लोन और अन्य सभी किसान-कल्याण योजनाओं (Farmers Schemes) के जरिए दिया गया है. उन्होंने कहा कि किसानों की फसलों को हुए नुकसान (Crop Loss) के बाद आवश्यक राहत देने में कभी देर नहीं की गई. वो बृहस्पतिवार को जनवरी 2022 में ओलावृष्टि (Hailstorm) से प्रदेश के 26 जिलों में किसानों की फसलों को हुई क्षति के लिए 202 करोड़ 90 लाख रुपये की मुआवजा राशि जारी कर रहे थे. इससे 146101 किसानों को राहत मिलेगी. राज्य सरकार दावा कर रही है कि मुआवजा पाकर किसान खुश हैं, लेकिन क्या वाकई ऐसा है?

चौहान ने कहा कि प्रदेश के 1074 गांवों में ओलावृष्टि से और बेमौसम बारिश से 134019 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान हुआ था. प्रभावित जिलों में रायसेन, राजगढ़, विदिशा, भिण्ड, ग्वालियर, अशोकनगर, शिवपुरी, दतिया, गुना, धार, झाबुआ, बालाघाट, छिंदवाड़ा, मण्डला, सिवनी, बैतूल, हरदा, सतना, सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, रतलाम और खण्डवा शामिल हैं. जिलेवार राहत राशि प्रभावितों को देने का कार्य प्राथमिकता से किया गया.

क्या वाकई संतुष्ट हैं किसान?

सरकार दावा कर रही है कि ओलावृष्टि से हुए नुकसान के बदले जो मुआवजा दिया गया है उससे किसान संतुष्ट हैं. लेकिन हकीकत कुछ और ही है. किसान नेता शिवम बघेल का कहना है कि 2018 में भी सरकार ने फसलों के नुकसान का मुआवजा 30,000 रुपये प्रति हेक्टेयर दिया था और अब 2022 में भी इसी रेट पर मुआवजा दे रही है. यह न्याय नहीं है. क्योंकि तब के मुकाबले अब खेती की लागत में काफी वृद्धि हो चुकी है. यह मुआवजा रेवेन्यू बुक सर्कुलर की धारा 6 की उपधारा 4 (RBC-6/4) के तहत दिया गया है. बघेल का कहना है कि महंगाई को देखते हुए 2022 में तो कम से कम 50,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा दिया जाना चाहिए

सीएम ने कहा-जैसे सीने पर गिरे हों ओले

पुराने रेट पर मुआवजा देने से किसान नाराज हैं. लेकिन, मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ इमोशनल संवाद किया. उन्होंने कहा कि जब बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि हुई, तब यही अनुभूति हुई थी कि ओले धरती पर या खेतों पर नहीं गिरे मानो उनके सीने पर गिरे हों. ऐसी घटनाएं विचलित करती हैं. किसानों को राहत देने के लिए तत्काल प्रभावित क्षेत्रों में जाकर क्षति का जायजा लेने और सर्वे का काम किया गया.

इससे पहले पिछले सप्ताह खरीफ सीजन 2020 और रबी सीजन 2021 के लिए 45 लाख से अधिक किसानों के खातों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की रकम का भी भुगतान कर दिया गया है. फसल बीमा क्लेम की कुल रकम 7669 करोड़ रुपये है. जिसमें से अब तक 5660 करोड़ किसानों को दे दिए गए हैं.

कोरोना काल में भी मिली भरपूर राहत

चौहान ने कहा कि कोरोना की पहली लहर में विपरीत परिस्थितियों के बाद भी एक करोड़ 29 लाख 42 हजार मीट्रिक टन गेहूं की एमएसपी पर खरीद की गई. दूसरी लहर में संक्रमण की रोकथाम के उपायों के साथ फिर एक करोड़ 28 लाख 15 हजार मीट्रिक टन गेहूं एवं 45 लाख 85 हजार मीट्रिक टन धान की खरीद हुई. प्रदेश के 17 लाख 16 हजार किसानों से गेहूं और 6 लाख 61 हजार किसानों से धान खरीदा गया.