उत्तराखण्ड

चुनाव परिणाम आने से पहले कांग्रेस में सीएम पद के लिए शुरू हुई लॉबिंग, हल्द्वानी में बैठक कर किला दुरूस्त कर रहे हैं हरीश रावत

राज्य में कांग्रेस ने चुनाव में किसी को सीएम फेस घोषित नहीं किया था. जबकि कांग्रेस नेता हरीश रावत अंतिम समय तक इसी कोशिश में लग रहे है. लेकिन राज्य में गुटबाजी ना हो, इसके लिए पार्टी ने किसी को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया.

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव (Uttarakhand assembly election) के परिणाम 10 मार्च को आने हैं और इससे पहले ही कांग्रेस (Congress) में मुख्यमंत्री पद के लिए पैरवी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेताओं को लग रहा है कि राज्य में उनकी पार्टी की सरकार बन रही है. लिहाजा वह मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए सीएम के पद पर दावेदारी कर रहे हैं. इस मामले में कांग्रेस नेता और चुनाव समिति के अध्यक्ष हरीश रावत सबसे आगे हैं. वहीं कांग्रेस के बड़े नेता मौजूदा विधायकों और बड़े नेताओं के साथ हल्द्वानी में डेरा डाले हुए हैं और कई बार पूर्व सीएम हरीश रावत से भी मिल चुके हैं. वहीं हरीश रावत भी सीएम की दावेदारी कर रहे हैं और अंतिम फैसला कांग्रेस आलाकमान पर छोड़ने की बात कर रहे हैं.

दरअसल राज्य में कांग्रेस ने चुनाव में किसी को सीएम फेस घोषित नहीं किया. जबकि कांग्रेस नेता हरीश रावत अंतिम समय तक इसी कोशिश में लग रहे है. लेकिन राज्य में गुटबाजी ना हो, इसके लिए पार्टी ने किसी को सीएम का चेहरा घोषित नहीं किया. वहीं हरीश रावत एक बार फिर मतदान के बाद आलाकमान को अपने कद का अहसास दिला रहे हैं और मीडिया और सोशल मीडिया के जरिए अपनी दावेदारी जता रहे हैं. हालांकि सियासत के दिग्गज खिलाड़ी हरीश रावत ये कहना भी नहीं चूक रहे हैं कि सीएम का फैसला आलाकमान करेगा.

हरीश रावत दुरूस्त कर रहे हैं किला

असल में चुनाव के बाद हल्दवानी में डेरा जमाए हरीश रावत अपना किला मजबूत कर रहे हैं. क्योंकि वह जानते हैं कि 10 मार्च के बाद अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो वह सीएम के दावेदार हो सकते हैं. वहीं प्रीतम सिंह और गणेश गोदियाल भी हरीश रावत के लिए चुनौती बन सकते हैं. लिहाजा वह वहां बैठकर सियासी रणनीति बना रहे हैं. वहीं पिछले दिनों ही कांग्रेस के कई बड़े नेता, विधायक-पूर्व विधायक रावत से मिलने हल्द्वानी पहुंचे. इन नेताओं में पूर्व मंत्री यशपाल आर्य, विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल, हरीश सिंह धामी और प्रत्याशी महेश शर्मा, सुमित हृदयेश, खजान चंद्र गुड्डू प्रमुख हैं.

निर्दलीयों पर है कांग्रेस की नजर

कांग्रेस पार्टी राज्य में लड़ रहे निर्दलीयों पर नजर रखे हुए हैं. क्योंकि अगर पिछले चार चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर बार निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की है. राज्य में 2002, 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में चार-चार निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे. जबकि 2017 में दो निर्दलीय जीतने में कामयाब रहे. लिहाजा कांग्रेस को लग रहा है कि उसे अगर बहुमत के लिए कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिल जाए तो वह राज्य में सरकार आसानी से बना सकती है. फिलहाल चुनाव में यमुनोत्री से संजय डोभाल, केदारनाथ से कुलदीप रावत, रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल, देवप्रयाग से यूकेडी दिवाकर भट्ट और खानपुर से उमेश कुमार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.