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कर्नाटक HC में सुनवाई का 8वां दिन, याचिकाकर्ताओं से AG बोले- ध्यान में रखी जानी चाहिए महिलाओं की गरिमा

एडवोकेट जनरल ने कल कोर्ट में कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने स्कूल और कॉलेज में हिजाब पहनने की अनुमति मांगी है. कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High court) में आज दोपहर फिर इस पर सुनवाई शुरू हो गई है.

हिजाब मामले (Hijab Row) को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High court) में सुनवाई शुरू हो गई. आज मामले में सुनवाई का 8वां दिन है. चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण अवस्थी और जस्टिस एम खाजी की तीन सदस्यीय बेंच मामले की लगातार सुनवाई कर रही है. सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने कहा, कैंपस में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं. इसके लिए केवल क्लासरूम और कक्षा के दौरान मना किया गया है.

उन्होंने कहा, हमारे पास कर्नाटक शैक्षणिक संस्थानों के रूप में एक कानून है. (वर्गीकरण और पंजीकरण) नियम, नियम 11; यह नियम उन पर एक विशेष टोपी पहनने का उचित प्रतिबंध लगाता है. एडवोकेट जनरल ने कहा अगर कोई इस घोषणा के साथ आता है कि हम चाहते हैं कि एक विशेष धर्म की सभी महिलाएं (एक विशेष पोशाक) पहनें, तो क्या यह उस व्यक्ति की गरिमा का उल्लंघन नहीं होगा?

उन्होंने कहा, मानवीय गरिमा में स्वतंत्रता शामिल है, जिसमें पहनने या न पहनने का विकल्प शामिल है.  याचिकाकर्ता का पूरा दावा अनिवार्य करने का है, जो संविधान के लोकाचार के खिलाफ है.  इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता, इसे संबंधित महिलाओं की पसंद पर छोड़ देना चाहिए.

सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल मे कहा, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव नहीं है. जहां तक ​​निजी गैर-सहायता प्राप्त अल्पसंख्यक संस्थानों की बात है, हम यूनिफॉर्म कोड में हस्तक्षेप नहीं कर रहे हैं और यह निर्णय संस्थानों पर छोड़ दिया है. बड़ी संख्या में याचिकाकर्ता जो महिला संगठनों का प्रतिनिधित्व करते हैं, मैं उन्हें बताना चाहता हूं कि महिलाओं की गरिमा को ध्यान में रखा जाना चाहिए.

इससे पहले सोमवार को राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने सबरीमाला फैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि हिजाब इस्लाम (Islam) की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है.

एडवोकेट जनरल ने कल कोर्ट में कहा था कि याचिकाकर्ताओं ने स्कूल और कॉलेज में हिजाब पहनने की अनुमति मांगी है. उनका कहना है कि इस्लाम धर्म का पालन करने वाली प्रत्येक महिला को हिजाब पहनना जरूरी है जबकि हिजाब का समर्थन करने वाले लोग चाहते हैं कि हर मुस्लिम महिला को बांध (काबू में) सके. सोमवार को  मामले की सुनवाई शुरू करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने एजी से पूछा था कि संस्थानों में हिजाब पहनने की इजाजत दी जा सकती है या नहीं.

इस पर AG ने जवाब दिया था कि सरकार का आदेश इस मामले में निर्णय लेने की जिम्मेदारी संस्थानों पर छोड़ देता है. AG की ओर से कहा गया कि सरकार का आदेश संस्थानों को ड्रेस तय करने की आजादी देता है. कर्नाटक शिक्षा अधिनियम की प्रस्तावना धर्मनिरपेक्ष वातावरण को बढ़ावा देना है. राज्य की राय यह है कि किसी धार्मिक पहचान वाले कपड़े को स्कूल में नहीं पहनना चाहिए.

क्या था पूरा मामला

बता दें हाल ही में कर्नाटक के उडुपी में एक कॉलेज की छह छात्राएं कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुई थीं. इसका आयोजन, क्लास में हिजाब पहनकर प्रवेश की अनुमति देने से कॉलेज प्रशासन के मना करने के विरोध में किया गया था. इस घटना से चार दिन पहले, उन्होंने प्राचार्य से हिजाब पहन कर क्लास में आने देने की अनुमति मांगी थी. लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी गई. कॉलेज के प्राचार्य रुद्रे गौड़ा ने कहा था कि अब तक छात्राएं हिजाब पहन कर परिसर में पहुंचती थीं लेकिन कक्षाओं में जाने से पहले उसे हटा देती थीं. प्राचार्य ने कहा था, ‘संस्थान की, हिजाब पहनने के बारे में कोई व्यवस्था नहीं है क्योंकि पिछले 35 साल से कक्षा में कोई छात्रा हिजाब नहीं पहनती. यह मांग करने वाली छात्राओं को कुछ बाहरी तत्वों का समर्थन है.’

कर्नाटक में हिजाब पर प्रतिबंध को लेकर विदेशों से भी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं. अब इस विवाद पर अमेरिका ने भी अपना बयान जारी कर दिया है. भारत में मुस्लिम छात्रों की हिजाब पहनने की मांग को लेकर उठे विवाद (Hijab Controversy) के बीच अमेरिका ने कर्नाटक की आलोचना की है.