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बम धमाकों की दहशत के बीच खारकीव के बंकर से हंगरी पहुंचा अलीगढ़ का छात्र ऋत्विक, बताए हालात

यूक्रेन के खारकीव शहर में पांच दिन बंकर में कैद रहे अलीगढ़ के छात्र ऋत्विक के चेहरे पर सात दिन बाद बुधवार को खुशी देखी गई। बुधवार को ऋत्विक खारकीव से निकलकर लवीव होते हुए हंगरी बोर्डर पर पहुंच गए। बस में जाते हुए ऋत्विक ने फोटो शेयर की है जिसमें वह खुश नजर आ रहे हैं।

मंगलवार को रूसी हमले में ऋत्विक बाल-बाल बच गए थे। इसके बाद वह खारकीव से ट्रेन में लवीव के लिए रवाना हुए। करीब 24 घंटे के सफर के बाद ऋत्विक बुधवार दोपहर एक बजे लवीव शहर पहुंचे। यहां खाना खाने के बाद दोपहर ढाई बजे हंगरी बार्डर के लिए बस से रवाना हो गए। ऋत्विक के पिता डा. विश्वमित्रा आर्य ने बताया कि छात्रों के लिए भारत सरकार द्वारा भी बस की व्यवस्था की गई थी। लेकिन छात्र उसका इंतजार किए बगैर ही निजी बस करके हंगरी बार्डर के लिए चल दिए हैं। बस में तीस छात्र सवार हैं। रात साढ़े आठ बजे उनकी बस हंगरी बोर्डर से दो किमी पहले पहुंच गई। ऋत्विक ने बताया कि यहां से ट्रेन से हंगरी बोर्डर पर जाएंगे। वहां से दूतावास। इसके बाद बोडापोस्ट एयर पोर्ट। फ्लाइट की सुविधा के अनुसार भारत के लिए रवाना होंगे। डा. आर्य ने बताया कि बेटा अब खतरे के क्षेत्र से बाहन निकल आया है। अब राहत मिली है। पूरा परिवार परेशान हो गया था। बेटा का ट्रेन का सफर भी बड़ा मुश्किल भरा रहा। बाथरूम में बैठकर उसने सफर तया किया।

बिल्ली, खरगोश व कुत्ता भी लाए साथ

ऋत्विक जिस बस से हंगरी पहुंचे थे। उनमें एक छात्रा की गोद में बिल्ली भी थी। तमिलनाडु की रहने वाली छात्रा इसे अपने साथ यूक्रेन से ही लाई है। जो उसकी पालतू है। अपनी जान के साथ छात्रा को बिल्ली की भी चिंता थी। इस लिए जहां-जहां वह गई, बिल्ली को साथ लेकर चली। सफर के दौरान खुद भूखी रही लेकिन बिल्ली को कुछ न कुछ खिलाती रही। ऋत्विक ने बताया वो भी अपने पालतू खरगोश को लेकर आए हैं। एक छात्र अपने कुत्ते को लेकर आया है। युक्रेन में इस समय इंसानों के साथ-जानवरों के लिए भी खतरा है। इस लिए अपने पालतू जानवरों को लेकर आ गए हैं। विमान में इनको लाने की अनुमति मिलती है तो अलीगढ़ भी लेकर आऊंगा।

हंगरी पहुंचे सार्थक, अब कोई दिक्कत नहीं

यूक्रेन की राजधानी कीव में फंसे सार्थक उपाध्याय बुधवार को हंगरी पहुंच गए। सार्थक के पिता अमोद कुमार उपाध्याय के अनुसार हंगरी में बेटा एयर पोर्ट के पास भारत सरकार ने किसी होटल में रुकवाया है। वहां किसी भी तरह की कोई दिक्कत और असुविधा नहीं है। खाने-पीने की भी पेरशानी नहीं है। बुधवार रात या तीन मार्च को फ्लाइट मिलने की संभावना है। इस तरह तीन या चार मार्च को सार्थक सकुशल घर आ जाएंगे। ऋत्विक की तरह सार्थक का हंगरी तक का सफर भी मुश्किल भरा रहा है। भारत सरकार की एडवाइजरी व कीव के माहौल् को देखते हुए तत्काल कीव छोड़ने के लिए कहा गया था। जिसमें वह सफल रहा।

सुमित ने भरी उड़ान, उर्वशी को फ्लाइट का इंतजार

यूक्रेन में फंसे एमबीबीएस के छात्र सुमित यादव दिल्ली के लिए उड़ान भर चुके हैं। उनकी फ्लाइट बुधवार देर रात तक दिल्ली पहुंच जाएगी। पिता मोरमुकुट व मां मीना यादव उन्हें लेने दिल्ली के लिए रवाना हो गए हैं। यूक्रेन से आ रही छात्रा उर्वशी अभी भी बुखारेस्ट शेल्टर में हैं। उन्हें गुरुवार तक फ्लाइट मिल सकती है।

दादों का अमित भी फंसा

संवाद सूत्र, दादों: क्षेत्र के गांव नगला मुण्डा निवासी डा. मानवीर सिंह का बेटा अमित कुमार भी यूक्रेन में फंसे हुए हैं। अमित खारकीव नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर हैं। बुधवार को एसडीएम अतरौली रवि शंकर सिंह ने यूक्रेन में फंसे छात्र के परिजनों से संपर्क किया और उनको पूरी तरह अाश्वस्त किया कि भारत सरकार अापके बेटे सहित तमाम भारत के छात्रों को सुरक्षित पहुंचाने का काम कर रही है। वर्तमान में क्वार्सी के मौहल्ला राजीव नगर में रह रहे डा. मनवीर सिंह ने बताया कि मंगलवार की शाम के बाद से बेटे से संपर्क नहीं हुआ तो घवराहट हो रही थी। लेकिन बुधवार करीब दो बजे बेटे से संपर्क हुआ है। बेटे ने बताया कि वह ट्रेन से अन्य छात्रों के साथ वह लवीव जा रहा है। वहां से देश आने की व्यवस्था की जाएगी।

भारतीय छात्र की मौत पर शोक

अलीगढ़ : टैक्सबार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने यूक्रेन में भारतीय छात्र की मौत पर शोक व्यक्त किया। बुधवार को रामभवन गंभीरपुरा में अध्यक्ष गिर्राज किशोर गुप्ता की अध्यक्षता में शोकसभा आयोजित हुई, जिसमें दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की सरकार से मांग की गई। शोकसभा में संरक्षक रविंद्र प्रताप सक्सेना, महेश चंद्र गुप्ता, लक्ष्मी नारायण वार्ष्णेय, संजीव माहेश्वरी, आशुतोष वार्ष्णेय, अमित कौशिक, कपिल मिश्रा, नरेश कुमार, अजय शर्मा, नितिन गोपाल, सुदेश श्रीवास्तव आदि शामिल रहे।

स्वजन ने ली राहत की सांस

पिसावा: यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे कस्बा के गौरव शर्मा तमाम मुसीबतों का सामना करते हुए रोमानिया पहुंच गए हैं। इससे स्वजन ने राहत की सांस ली है। गौरव के पिता सुरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि बेटा यूक्रेन की ओडेशा नेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था। वहां नेवी पोर्ट के समीप किराए का कमरा लेकर रहता है। रूस ने नेवी पोर्ट को भी निशाना बनाया। बमबारी से बचने के लिए गौरव अपना कमरा छोड़कर दोस्तों के साथ रहे। तीन दिन जंगली क्षेत्र में गुजारे। ट्रेन से वह रोमानिया बोर्डर की ओर जाने का प्लान बनाया। ट्रेन ने रोमानिया बार्डर से ढाई सौ किलोमीटर पहले ही छोड़ देगी। यहां से अपने साथियों के साथ किराए की गाड़ी लेकर गौरव माल्दोवा बार्डर पर पहुंचे। बार्डर बंद मिला तो 50 किलोमीटर दूर दूसरे बार्डर पर पहुंचे। पोलिंका बार्डर से माल्दोवा में प्रवेश किया। माल्दोवा में दो दिन बिताने के बाद वहां से रोमानिया बार्डर बस से पहुंचे। रोमानिया बार्डर से सभी छात्र बुचारेस्ट एयरपोर्ट पहुंच गए हैं। गौरव के साथ कश्मीर, हिसार, इंदौर आदि राज्यों के सात छात्र हैं। अभी सभी भारत आने के लिए फ्लाइट के इंतजार में हैं।

छात्रों को सकुशल निकाला जाए

अलीगढ़ : शिवसेना के महानगर प्रमुख महेश चंद शर्मा ने भारत सरकार से देश में शिक्षा के स्तर को और बेहतर बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि मेडिकल छात्रों को देश में अच्छी शिक्षा मिलती तो वह यूक्रेन नहीं जाते। वहां बच्चे फंसे हुए हैं। उन्हें जल्द से जल्द सकुशल निकालना चाहिए। सरकार ने कुछ देरी से कदम उठाया, जबकि युद्ध की आशंका को देखते हुए ही छात्रों को पहले बुला लेना चाहिए था। उप प्रमुख श्याम प्रकाश शर्मा ने कहा कि विदेश मंत्रालय को पूरी स्थिति के बारे में स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि बड़ी संख्या में अभी भी छात्र फंसे हैं, उनके परिजनों बहुत परेशान हो रहे हैं।