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किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने की प्रैस वार्ता,आगामी 6 अप्रैल को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर 101 किसान करेगें सरसों सत्याग्रह|

बिल्लूराम सैनी,कोटपूतली :- प्रकृति की मार से चौपट हुई रबी की फसलों की ओर भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए किसान महापंचायत के तत्वाधान में आगामी 6 अप्रैल को देश की राजधानी नई दिल्ली के जंतर मंतर पर 101 किसान प्रात: 11 से अपरान्ह 04 बजे तक सरसों सत्याग्रह करेगें। सत्याग्रह की तैयारियों को लेकर महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट रविवार को कोटपूतली पहुँचे। जहाँ उनका जनता दल नेता रामनिवास यादव ने स्वागत किया। इस दौरान प्रैस वार्ता को सम्बोधित करते हुए जाट ने कहा कि देश की समृद्धि का रास्ता किसानों के खेत-खलिहान से गुजरता है, लेकिन यह खेद का विषय है कि केन्द्र व राज्य सरकार ने ना तो कभी किसान हितों को लेकर योजना बनाई एवं ना ही कभी उनके हितों के लिए साथ खड़ी हुई। जाट ने कहा कि सत्याग्रह को लेकर पीएम मोदी को सूचित करते हुए बताया कि एक वर्ष में सरसों के एक क्विण्टल पर 03 हजार रूपये कम होना एक अनहोनी घटना है, मजबुरन कृषकों को अपनी सरसों की उपज 4500 प्रति क्विण्टल बेचनी पड़ रही है। जबकि बाजार में घोषित समर्थन मूल्य 5450 रूपये प्रति क्विण्टल है। विगत वर्ष किसानों को 7444 रूपये प्रति क्विण्टल सरसों के भाव प्राप्त हुए थे। इस गिरावट के लिए भारत सरकार की आयात-निर्यात नीति व न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दाम प्राप्ति के लिए एमएसपी से सम्बंधित नीति उत्तरदायी है। कृषक आय के संरक्षण के नाम पर तिलहन व दलहन के लिए वर्ष 2018 में तैयार की गई प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान में इन उपजों के कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत से अधिक खरीद नहीं करने का प्रावधान कर 75 प्रतिशत उपज को एमएसपी से बाहर कर दिया गया। यह स्थिति तो तब है जब एक दशक में 07 लाख 60 हजार 500 करोड़ रूपये विदेशों से तेल मंगवाने के नाम पर खर्च किया गया। जबकि वित्तिय वर्ष 2021-22 में यह खर्च 01 लाख 41 हजार 500 करोड़ रूपये हो गया जो अब तक की आयात की अवधि में सर्वाधिक है। जाट ने यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदा से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है ऐसे में जितना नुकसान किसानों को हुआ है सरकार उतनी भरपाई करें। फिलहाल सरकार महज रिलीफ फण्ड देकर खानापूर्ति कर रही है। जाट ने ईआरसीपी को भी राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग करते हुए कहा कि अगर खेत को पानी व फसल को दाम मिलना शुरू हो जाये तो किसान को किसी ऋण की जरूरत नहीं पड़ेगी वह स्वयं ऋण देने में सक्षम हो जायेगा। भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए अर्थव्यवस्था बेहतर करने के लिए योजनायें भी कृषि आधारित होनी चाहिये। जनता दल नेता रामनिवास यादव ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार फसलों की गिरदावरी करवाने की बजाय 100 प्रतिशत खराबी अतिवृष्टि, ओलावृष्टि आदि से मानते हुए तत्काल कृषकों को बैंक खातों में सहायता राशि प्रदान करें। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधर सकें। फसलों को प्रकृति की मार से ना केवल खराबा हुआ है बल्कि गुणवत्ता में भी कमी आई है। ऐसे में उत्पादन आधा हुआ है व बाजार में सरसों के भाव भी काफी कम हो गये है। जिसको देखते हुए सरकार को सरसों व जौ पर 500-500 रूपये प्रति क्विण्टल एमएसपी बोनस व एक-एक हजार रूपये प्रति क्विण्टल पर सहायता अलग से उपलब्ध करवानी चाहिये। इस दौरान धर्मेन्द्र योगी, अशोक बिदारिया, कुशल बिदारिया आदि भी मौजूद रहे।