कृषि

संसद में उठी सूखा मैन्युअल में संशोधन करने की आवाज, राजस्थान के किसानों को मिलेगा फायदा

सांसद नीरज डांगी ने कहा कि राजस्थान राज्य में लंबे समय से सूखे की स्थिति बनी हुई है और अप्रैल से जुलाई के महीनों के दौरान राज्य को सूखे के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव का सामना करना पड़ता है.

राज्यसभा सांसद नीरज डांगी ने राज्यसभा में विशेष उल्लेख के जरिए राजस्थान के संदर्भ में केंद्र सरकार द्वारा तैयार सूखा मैन्युअल-2016 (Drought Manual-2016) में संशोधन की मांग उठाई. ताकि किसानों (Farmers) को फायदा मिले. उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय (Ministry of Agriculture) द्वारा तैयार सूखा मैन्युअल-2016 को हाल ही में भारत सरकार द्वारा अनिवार्य किया गया है. गृह मंत्रालय द्वारा सूखा मैन्युअल-2016 के अनुसार सूखा की घोषणा करने के लिए कट आफ डेट-31 अक्टूबर है और यह घोषणा अगले साल के अप्रैल महीने तक के लिए प्रभावी रहेगी. डांगी ने प्रकरण की विस्तार से चर्चा करते हुए सदन को अवगत कराया कि राजस्थान में आमतौर पर मानसून जुलाई के पहले सप्ताह में राज्य में प्रवेश करता है और राज्य के पश्चिमी भाग में (ज्यादातर सूखे से प्रभावित) जुलाई के तीसरे सप्ताह के दौरान मानसून की बारिश होती है.

राजस्थान राज्य में लंबे समय से सूखे की स्थिति बनी हुई है और अप्रैल से जुलाई के महीनों के दौरान राज्य को सूखे के गंभीर प्रतिकूल प्रभाव का सामना करना पड़ता है. इस पीक सीजन में राहत गतिविधियों की अत्यधिक आवश्यकता रहती है. इस वजह से इस अवधि को जुलाई के अंत तक या अगले मानसून की शुरुआत तक, जो भी पहले हो, तक बढ़ाया जाना चाहिए. इस संबंध में, राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा लगातार वर्ष 2018 से गृह मंत्रालय एवं कृषि मंत्रालय से इसमें संशोधन करने का अनुरोध किया जाता रहा है.

इनपुट सब्सिडी को लेकर भी उठा चुके हैं मांग

सांसद डांगी ने भारत सरकार से अनुरोध किया कि राजस्थान के परिपेक्ष्य में अगस्त से अप्रैल के सूखे के कारण अवधि के विस्तार की अनुमति देने के लिए सूखा मैन्युअल-2016 में संशोधन किया जाए. कांग्रेस सांसद नीरज डांगी (Neeraj Dangi) ने दिसंबर में भी राज्यसभा में राजस्थान के किसानों से जुड़ा एक मुद्दा उठाया था. तब उन्होंने हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, पाली, राजसमंद, अजमेर, बाड़मेर, बीकानेर, चूरू, जालोर, उदयपुर, झुंझुनू, सीकर एवं सिरोही जिलों में कृषि इनपुट सब्सिडी (Subsidy) की अधिकतम सीमा 2 हेक्टेयर से बढ़ा कर 5 हेक्टेयर तक किए जाने की मांग की थी.

राजस्थान के किसानों की क्या है समस्या

डांगी ने सदन में कहा था कि राजस्थान का एक बड़ा हिस्सा रेगिस्तानी है. सूखा यहां के किसानों की सबसे बड़ी समस्या है. यहां खराब जमीन के कारण फसलों की उत्पादकता (Crops Productivity) बहुत ही कम है. फसल उगाना काफी कठिन है. बारिश बहुत कम होती है. राजस्थान के जो जिले मरू विकास कार्यक्रम का हिस्सा थे, वहां लोगों के पास जमीन तो बहुत है लेकिन उसमें फसल उगाना मुश्किल है. इसलिए केंद्र सरकार कृषि इनपुट सब्सिडी के लिए अधिकतम जमीन की सीमा में 2 से वृद्धि करके 5 हेक्टेयर कर दे तो काफी किसानों को राहत मिल जाएगी. राजस्थान में मुख्य तौर पर कम पानी वाली फसलें जैसे सरसों, बाजरा एवं मूंगफली आदि की पैदावार होती है.