अंतरराष्ट्रीय

इमरान क्या करेंगे… कंगाल पाकिस्तान को सऊदी को लौटाना है 3 बिलियन डॉलर का कर्ज

इस भारी भरकम कर्ज अदायगी से महंगाई में भारी बढ़ोतरी से मांग में कमी आ सकती है. इसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यस्था पर पड़ेगा.

इस्लामाबाद:

नये पाकिस्तान का वादा कर सत्ता में आए इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्तान चहुंओर से समस्याओं से जूझ रहा है. आलम यह है कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार के ही पोषित-पल्लवित आतंकी संगठन उसे अंदर से घाव दे रहे हैं, तो बाहर से कर्ज का मकड़जाल उसे निचोड़ रहा है. महंगाई आसमान छू रही है, उस पर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी का जीना दुश्वार कर रखा है. करेला वह भी नीम चढ़ा की तर्ज पर इमरान सरकार के लिए अब सऊदी अरब से लिया 300 अमेरिकी डॉलर का कर्ज चुकाने की बड़ी चुनौती आन खड़ी हुई है. पाकिस्तान ने हर तिमाही 4 फीसदी ब्याज अदा करने का वादा कर कर्ज हासिल किया था. 

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था टूट कर बिखर जाएगी
समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट में भी साफ किया गया है कि इस भारी भरकम कर्ज अदायगी से महंगाई में भारी बढ़ोतरी से मांग में कमी आ सकती है. इसका सीधा असर पाकिस्तान की अर्थव्यस्था पर पड़ेगा. गौरतलब है कि सऊदी अरब ने अक्टूबर 2021 में पाकिस्तान को अपनी वित्तीय सहायता फिर शुरू करने पर सहमति जताई थी. इसमें सुरक्षित जमा राशि के तौर पर करीब 300 करोड़ अमेरिकी डॉलर और अस्थगित भुगतान को तौर पर 120 से 150 करोड़ अमेरीकी डॉलर मूल्य की तेल आपूर्ति शामिल थी. इससे पाकिस्तान को अपनी वित्तीय योजना के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को समझाने में मदद मिलने की उम्मीद थी.

9 अरब डॉलर पार पहुंचा वित्तीय घाटा
अब पाकिस्तान कंगाली के मुहाने पर खड़ा है. पाकिस्तान की टैक्स एजेंसी के पूर्व प्रमुख जैदी के मुताबिक पाकिस्तान का चालू खाता घाटा वित्त वर्ष की पहली छमाही में 9 अरब डॉलर पार कर चुका है. यह जीडीपी का 5.7 प्रतिशत है. अगर सीएडी इसी तरह बढ़ता रहा, तो पाकिस्तान कर्ज के जाल से निकल नहीं पाएगा. पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब पाकिस्तानी रुपये से भी ज्यादा हो चुका है. पाकिस्तान के पास कर्ज चुकाना तो दूर कर्ज की ब्या अदायगी तक के पैसे नहीं है. उस पर इमरान ने ही 20.7 खरब पाकिस्तानी रुपये का नया कर्ज लिया है. चंद दिनों पहले इमरान 300 अरब डॉलर के कर्ज की उम्मीद में चीन गए थे, जो पूरी नहीं हो सकी. तुर्रा यह है कि पेरिस में एफएटीएफ की बैठक में पाकिस्तान पर ब्लैक लिस्ट किए जाने का खतरा और बढ़ गया है.